Saturday, July 23, 2011

दिल आखिर तू क्यूँ रोता है

जब जब दर्द का बादल छाया,
जब गम का साया लहराया,
जब आंसू पलकों तक आया,
जब यह तनहा दिल घबराया,
हमने दिल को यह समझाया-
दिल... आखिर तू क्यूँ रोता है,
दुनिया में युहीं होता है,
यह जो गहरे सन्नाटें हैं,
वक़्त ने सबको ही बांटें हैं,
थोडा गम है सबका किस्सा,
थोड़ी धुप है सबका हिस्सा,
आँखें तेरी बेकार ही नम है,
हर पल एक नया मौसम है,
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है,
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है.

-जावेद अख्तर- ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा